Wednesday, November 26, 2008

कुछ कहो...

कुछ तो कहो, देखो यु चुप न रहो। कुछ तो मन की परते खोलो बहुत हो चुकी ये चुप्पी अब तोड़ डालो, जो दबी है दिल में उन भावनाओ को निकालो बहार। हसरतो को दो परवाज़ की मन की है ऊँची उड़ान,की तोड़ो हर बंधन। दिल की बातो को ऐसे छुपाओ नही, उठो अब बहुत हो चुका ये रोना धोना , आया है वक्त इक भरो इतनी ऊँची उड़ान, रह जाए सारे पीछे। तुम हो सबसे बेहतर दिखा दो पुरी दुनिया को। की नही चलेगा तुम्हरे बिना इस संसार का काम , तुम ही तो हो इसकी आस। मत डुबो निरासा में है बहुत काम करने बाकि। उठो और जुट जाओ ।

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