Sunday, November 30, 2008

किसका करे शुक्रिया अदा

६० घंटो की लंबी लडाई, २० जवानो की शहादत, १८३ मौते, २२ विदेशियो की कुर्बानी, भारत की नाक झुकने के बाद, सरकार की नींद टूट गई। देश के गृह मंत्री को त्यागपत्र देने पर मजबूर करने के साथ ही, ४ बड़े शहरों में कमांडो फाॅर्स का गठन, और संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गाँधी का कठोर रूख , सरकार को कड़ी करवाई करने का निर्देश देना जैसी घटनाएं तो यही दिखाती है। पर दोस्तों सावधान ये कांग्रेस की राजनीतिक चाल भी हो सकती है, इन नेताओ की चमड़ी बहती मोटी होती है। जरा गौर कीजिये, पाटिल का इस्तीफा शनिवार को ही ले लिया गया था पर कांग्रेस ने इसे ओपन किया रविवार को। आखिर क्यो , क्योंकि कांग्रेस बार बार एक नाकाम गृहमंत्री के आरोपों को झेल रही थी, और उसे महसूस हो रहा था की एक साल में तेरह धमाको में ४०० लोगो की जान जाने और अरबो की सम्पति के नुक्सान के बाद भी पाटिल साहब की कार्य प्रणाली में बदलाव नही आया। वो हमेसा ही एक सॉफ्ट लुक, साफ़ सफाई वाले और नरम रूख वाले गृह मानती ही बने रहे। हर बार कड़ी करवाई करने का बयान देने वाले बयान बहादुर कभी भी इस पर अमल नही कर पाए। उनकी इन्ही कमजोरियों की वजह से कांग्रेस आलाकमान समेत सभी को लगने लगा की कही ऐसा न हो की पाटिल की वजह से आगामी चुनावी खेल न बिगड़ जाए.बीजेपी तो बीजेपी ,सपा, बसपा समेत आम जनता को भी अब जवाब देना मुश्किल हो रहा था, इसी लिए युद्ध के कुशल रणनीतिकार की तरह राजा को बचाने के लिए सिपाही को कुर्बान कर दिया। खैर कुछ भी हो जनता ने रहात की साँस तो ली ही है। हमारी और से भी धन्यवाद सोनिया जी, धन्यवाद मनमोहन जी, धन्यवाद पाटिल सर ।

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