Sunday, November 8, 2009

दर्द होता है क्यो बार बार

बस पल भर की बात है गुजर जाएगा यह मंजर भी, गुजर जाते हैं हर मंजर जैसे ।
बस निशां बाकी रह जाएंगे। हर निशां बदल जाते हैं यादों में।
जैसे हर याद रह जाती दिल में। कुछ अच्छी कुछ बुरी।
हर याद का एहसास रह जाता है बाकी।
ये अश्कों से भीगीं पलकें, यह दिलों में उठता दर्द।
यह सब बस है तो सिर्फ यादें ही।
फिर क्यों सालता है दर्द, क्यों उठती हैं टीसें दिल में, जब गुजर गया है हर मंजर यहां से।
फिर क्यों भर आती हैं आंखें, जब कुरेदता है कोई जख्मों को।
फिर क्यों रुंध जाता है गला, जब कोई याद दिलाता है तेरी।
कभी पूरी नहीं होती है कमी जिनकी, समझ नहीं पाते कि फिर कैसे जिए जा रहे हैं उनके बिन हम।

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