Wednesday, February 17, 2010

माई नेम इज खान नहीं... खिलाड़ी खान!

यह कहानी पूरी फिल्मी है! जी हां पूरी फिल्मी। इसके किरदार हैं- एक नागरिक, एक सरकार और एक तानाशाह। और हां इसमें शामिल है- कुछ मोहरे। यह कोई चेस बोर्ड नहीं है। यह है देश का पर्दा। जिसमें कैमरा ऑन हुआ तो, चली पूरी फिल्म। फिल्म की शुरूआत होती है- एक क्रिकेट टूर्नामेंट होने के लिए अलग अलग टीमों के लिए खिलाडिय़ों के चयन को लेकर। यह टूर्नामेंट भी खास है, क्योंकि इसमें किसी एक देश के खिलाड़ी नहीं हैं, इसमें शामिल हैं दुनिया के हर उस देश के खिलाड़ी जहां -जहां क्रिकेट की दीवानगी है। अब ऐसे में पूरे देश के साथ ही दुनिया इस टूर्नामेंट का बेसब्री से इंतजार कर रही है। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है। कैमरा चल रहा है- और पहला सीन आता है। जगह मुंबई का एक पांच सितारा होटल। मंच पर खड़े हैं खिलाड़ी और कर रहे हैं इंतजार कि अब मेरी बारी आएगी। धीरे-धीरे टीम में खिलाडिय़ों का आगमन हो रहा है, बोली लग रही है और टीम के मालिकान खरीद रहे हैं अपनी पसंद के खिलाडिय़ों को। सिलसिला चल रहा है, चल रहा है एक देश के खिलाडिय़ों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं, बेचैनी बढ़ रही है क्योंकि उनका नंबर नहीं आ रहा है। वो खुदा से दुआ कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि मेरा नंबर कब आएगा। अचानक बोली लगने का सिलसिला थम जाता है। हाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गंूज उठता है और सभी जश्र मनाने लगते हैं। पर कुछ खिलाडिय़ों के चेहरे लटके हुए हैं, उनका मन खट्टा हो चुका है, सारे अरमान मिट्टी में मिल चुके हैं और उन्हें ऐसा लग रहा है कि भरी महफिल में किसी ने उनके मुंह पर जूते मार दिये हों। उनके दिमाग की नसें तड़कने लगी हैं और दिल में लग गई है गुस्से की आग। पर लोग अपने अपने जश्न में डूबे हुए हैं, इनके गुस्से और दुख का अहसास किसी को भी नहीं है। यहां खत्म हो रहा है जश्न खत्म और पहला सीन भी। राहत है कि सबकुछ ठीक ठाक निपट गया। पर रुकिये यहां से शुरू होता है फिल्म का क्लाइमैक्स। क्योंकि अब फिल्म में आ रही है रफ्तार। शुरू हो रहे हैं दमदार डायलॉग। और अब ऐसा कुछ होने वाला है कि यह फिल्म पर्दे से बाहर आकर हकीकत में लोगों को जकडऩे वाली है और पता नहीं चलने वाला कि क्या हकीकत है और क्या फसाना।

टेक -2- खुद को लुटा-पिटा और अपमानित महसूस कर रहे यह सभी खिलाड़ी हैं एक विशेष देश के। इनका गुस्सा फूटने की शुरुआत हो रही है। पहला दमदार डायलॉग- इस देश के क्रिकेट बोर्ड और देश ने किया है हमारा अपमान। जब खिलाना ही नहीं था तो बुलाया क्यों। इस देश के सरकार की साजिश है हमें और हमारे मुल्क का अपमान करने की।यहां से शुरू हो रहा है फिल्म का क्लाइमैक्स। अब इतनी बड़ी बात हो गई। चारों ओर थू-थू होने वाली है- इसलिए सामने आ रहा है टूर्नामेंट को आयोजित करवाने वाला बोर्ड और साथ ही सामने आए इस देश के गृहमंत्री। आई दोनों की सफाई- खिलाडिय़ों को खरीदने की जवाबदारी टीम मालिकों की है- इसमें बोर्ड का कोई लेना देना नहीं है। गृहमंत्री का बयान आता है- इन खिलाडिय़ों को लेने नहीं लेने के फैसला टीम मालिकों का है। इससे देश की सरकार का कोई लेना देना नहीं। साथ ही यह भी कहा जाता है - कि ये खिलाड़ी उस टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने फटाफट क्रिकेट का विश्व कप जीता था, इन्हें टीम में शामिल किया जाना चाहिए।कैमरा घूमता है और पर्दे पर बदल जाता है सीन- सीन उस देश का आता है जहां कि खिलाडिय़ों को इस टूर्नामेंट में खेलने नहीं दिया जाता। कैप्टन कहता है- हमारे मन में कोई दुर्भावना नहीं है, यदि टूर्नामेंट में खेलने का निमंत्रण आता है तो हम जरूर शामिल होंगे।क्या इस सीन में मजा नहीं आया- फिल्म बेकार है! नहीं जनाब सिर्फ ट्रेलर देख कर पूरी फिल्म को रिजेक्ट मत करिये। क्योंकि अभी हीरो और विलेन की इंट्री तो बाकी है जनाब। अब आएगा असली मजा।

टेक-3:गृहमंत्री की नेक सलाह के बाद हीरो को अहसास होता है कि कितनी बड़ी गलती हुई है, उससे और उसके साथ ही दूसरी टीमों के मालिकों से। पर गृहमंत्री की सलाह पर अमल करने को कोई आगे नहीं आ रहा और न ही अपने किये पर माफी मांगने। पर हीरो के रातों की नींद उड़ी हुई है, भूख गायब हो गई और चैन खो गया है। उसका अंतर्मन उसे बार बार कचोट रहा है कि उसकी और दूसरों की गलती से देश अपमानित हो रहा है। वह अपने आलीशान महलनुमा घर के बेडरूम में बेड पर बैठा हुआ सिगरेट पर सिगरेट फूंके जा रहा है। घंड़ी के कांटे लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं, रात बीतती जा रही है, और भोर होने वाली है। आसमान पर सूरज की लालिमा फैल रही है और इसके साथ ही हीरो निर्णय करता है कि वह आगे बढ़ेगा और लोगों से कहेगा कि अपनी गलती को सुधार लिया जाए। सुबह होती है, हीरो घर से बाहर आता है और एक प्रेस कान्फें्रस में कहता है कि हमसे गलती हुई है, हमारा मकसद किसी का अपमान करना नहीं था। विश्व विजेता टीम के खिलाडिय़ों को भी टूर्नामेंट में खेलने का पूरा अधिकार है। प्रेस कान्फें्रस खत्म। हीरो के बयान पूरे देश की मीडिया में सुर्खियां बनते हैं और दूसरे दिन के अखबार के पहले पन्नों में प्रमुखता से छपे नजर आते हैं।अखबारों के पाठक पढ़ते हैं और हीरो की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं। हीरो ने अपना काम कर दिया था। लेकिन यह बात फिल्म के विलेन को पसंद नहीं आती और यहीं से आता है फिल्म की कहानी में ट्विस्ट। फिल्म में आती है रफ्तार।

टेक -4: हीरो के बयान पर बूढ़ा लेकिन दमदार विलेन, जो खुद को समझता है शेर। नाराज हो जाता है। और तुरंत हीरो के खिलाफ मोर्चा खोल देता है। वह कहता है कि हीरो को अगर उस देश (दुश्मन देश) के खिलाडिय़ों को खिलाने का इतना ही शौक है तो वहीं जाकर क्रिकेट खेलो। तुमने देश का अपमान किया है माफी मांगो। पर हीरो तो ठहरा हीरो। वह भला कैसे झुकता, कैसे माफी मांगता। वह कहता है नहीं मांगूंगा माफी। मैंने कोई गलती नहीं की है, जो मुझे माफी मांगनी पड़े। पहले तो विलेन प्यार से, थोड़े गुस्से मिश्रित प्यार से समझाने की कोशिश करते हुए कहता है कि देख भईये- तू माफी मांग ले, माना कि तू फिल्म का हीरो है और पूरे देश के बेवकूफ जनता तेरी दीवानी है, पर हम भी कमजोर नहीं हैं, हमारी भी कोई औकात है। हम शेर हैं और हमारे पास पूरे शेरों की फौज है। हमसे माफी मांग।पर हीरो नहीं मांगता माफी। वह बड़े ही भोलेपन से और आंखों में आंसू भरकर (जैसा कि उसकी हर फिल्म में एक भावुक सीन होता है) बड़ी ही दर्द भरी आवाज में कहता है मैंने क्या गलती की है जो माफी मांगूं। इस देश में लोकतंत्र है और मैं इस देश का नागरिक हूं, मुझे बोलने का पूरा हक है। मैंने कोई गलत बात नहीं कही है, जिसके लिए मुझे माफी मांगनी पड़ी। विलेन का भेजा खराब हो जाता है- यह तो अपमान है। इस चूहे की इतनी औकात मेरी हुकूमउदुली करे। वह भी शेर की। जो जंगल का राजा होता है। माना कि शेर बूढ़ा है, पर है तो शेर ही। जंगल में भले चाहे ही उसका राजपाट चला गया हो, पर मुगालता लगा है और इसकी मुगालते में जीना उसे पसंद है। दर्शक परेशान हैं- मीडिया चटखारे ले-लेकर खबरे दिखा रहा है। जैसे हीरो और विलेन की इस लड़ाई से बड़ा और जरूरी काम देश के लिए कुछ और नहीं है। यदि आपने नहीं देखी यह लड़ाई तो आपका जीना बेकार है। देखो कैसे हीरो ने हिम्मत दिखाई है शेर से लडऩे की। चारों ओर कोहराम मच गया है। शेर के बच्चे भी इस लड़ाई में हीरो के खिलाफ कूद पड़ हैं, और उसके शेर सेना के चमचेनुमा तथाकथित शेर भी, अपने नाखून, और दांतों में धार लगाते हुए कूद पड़ हैं हीरो का शिकार करने के लिए। यह वह वक्त है- जब हीरो की कई महीनों की मेहनत साकार होने वाली है, उसकी इस हकीकतनुमा फिल्म में एक और फिल्म आने वाली है। हीरो अपनी मेहनत को जाया नहीं करना चाहता, और चाहता है कि उसकी पर्दे वाली फिल्म बड़े पैमाने पर सफल हो, जनता उसे देखे और कर दे धनवर्षा। तभी तो क्रिकेट टूर्नामेंट का खर्चा निकलेगा। इसके लिए लगा है जी जान से रात दिन एक करने में। अमेरिका में प्रचार, जर्मनी में प्रचार, दुबई में प्रचार और पता नहीं कहां कहां प्रचार कर रहा है । मिन्नतें करते हुए देख लो भाई इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है, इसे जरूर सफल बना दो। देश की जनता बेचारी समझ नहीं पा रही क्या करें। हीरो का साथ दें तो शेर नाराज होगा और शेर का साथ दें तो हीरो का दिल टूटेगा। वह वेट और वॉच का फार्मूला अपनाती है।

टेक -5: कहानी में ट्विस्ट आता है, जब शेर के बार-बार समझाने पर भी हीरो उसकी बात मानने को तैयार नहीं होता, और अपनी बात पर डटा रहता है। दर्शक बेचारे दुखी हैं, मीडिया में खबरें बन रहीं हैं, हजारों पन्नें रंगे जा रहे हैं इस फिल्मी लेकिन हकीकत की कहानी से। अब शेर खफा है- वह ऐलान करता है, हीरो देशद्रोही है। उसे बख्शा नहीं जाएगा। उसकी आगामी फिल्म का विरोध किया जाएगा। शेर का आदेश है, कहीं भी फिल्म नहीं चलने दी जाएगी। उसकी शेर सेना सक्रिय है, खुश है और शिकार को घेरने के लिए हुंकारे भर रही है। इसी शेर सेना का एक शेर कहता है हीरो साला जंगल से बाहर रह कर जबान की कैंची चला रहा है, जरा जंगल आ बेटे फिर बताते हैं कि हम क्या हैं।हीरो भी गजब का हिम्मती है भाई। नहीं डरता, जरा भी नहीं डरता शेर के चमचों की धमकियों से। खम ठोंककर वापस आता है जंगल में। और ऐलान करता है, आ गया हूं मैं। बोले क्या बोलना है। लड़ो लड़ाई। शेर भौंचक है। यार यह तो वाकई हीरो है। वह ठंडा पड़ता है। बार-बार कहता है माफी मांग ले यार। किस्सा खत्म करें। पर शेर की सेना को यह पसंद नहीं कि हमारा राजा हीरो के आगे झुके। बहुत दिन से पड़े पड़े जंग लग रहा है और अब मौका है लडऩे को तो राजा कमजोर हो रहा है। नहीं चलेगा यह हुक्म। शेर सेना हीरो की फिल्म का विरोध करती है।

एक्शन सीन:अब आएगा असली मजा। दर्शक यही सोचता है, पर वह परेशान भी है। हीरो के लिए उसके दिल में दर्द है। हीरो पर शेर सेना के हमले बढ़ रहे हैं। ऐसे में जंगल में तथाकथित लोकतंत्र का दम भरने वाले कुछ गद्दीनशीं लोग आलोचनाओं के बाद हीरो के पक्ष में आते हैं। तू डर मत। इस शेर ने साले ने हमें भी परेशान कर रखा है। हम तेरे साथ हैं । चढ़ जा बेटा सूली पर। हम तेरे साथ हैं। हीरो को सहारा मिलता है। उसकी साथी लोगों का जो शेर के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। हीरो के साथ आ रहे हैं। हीरो के चेहरे पर तनाव है, वह दुखी है। बार-बार कंप्यूटर पर लिख कर लोगों को कह रहा है- मुझे दुख हो रहा है, मैं शेर की बहुत इज्जत करता हूं। वह कहता है, मैं देशद्रोही नहीं हूं। मुझे दुख हो रहा है कि मुझे अपनी देश भक्ति साबित करनी पड़ रही है। दर्शक बेचार भ्रमित है। उसके दिल में शेर के लिए नफरत बढ़ रही है। हीरो के लिए हर आंख में आंसूं हंै। हीरो झुकने को तैयार नहीं है।शेर की सेना अब हथियार उठा लेती है। जंगल में हर उस जगह जहं हीरो, पर्दे पर नई फिल्म लाने वाला है, हमले कर रही है, धमकी दे रही है, ऐसे में सरकार सामने आ रही है। उसने अपने रक्षकों को हीरो की रक्षा में खड़ा कर दिया है। दर्शक की बेचैनी बढ़ती जा रही है, क्या होगा। हीरो हारेगा या जीतेगा। मीडिया में कयासों की बाढ़ लग रही है, पूरा प्राइम टाइम हीरो, शेर की जंग से पट गया है। सब परेशान हैं। अब देखो शेर ने यह कह दिया। शेर तानाशाही कर रहा है, सरकार सो रही है। हर ओर इस जंग के गोलियों की आवाजें, धमाके और हर वह कुछ जो जंग में होता है, देश परेशान हो गया है।

टेक -6 क्लाइमैक्स का पीक हीरो की फिल्म की रिलीज की तारीख पास आती जा रही है, दर्शक परेशान है, कैसे जाएंगे, फिल्म देखने। चारों ओर शेर की सेना है। ऐसे में तलवार पर चल रहे हैं वह लोग जिनने हीरो की फिल्म में पैसे लगाएं हैं, अगर फिल्म रिलीज नहीं हुई तो हम तो लुट जाएंगे। यह जंग तो हमें कंगाल कर देगी। पर वह भी कुछ नहीं कह सकती। फिल्म का हीरो झुकने को तैयार नहीं है और शेर मान नहीं रह रहा है। वह फिल्म की रिलीज को टालने की कोशिश कर रहा है। अब सरकार सामने आ रही है, भाई शेर से मत डरो। अपना धंधा करो। हम सुरक्षा देंगे। तुम्हारी हर दुकान में हमारे लोग रहेंगे, शेर की सेना से बचाएंगे।पर भाई ये बनियों ने भी कच्ची गोली नहीं खेली, वह जानते हैं कि सरकार का आश्वासन खोखला है, और शेर भले ही बूढ़ा है, पर सेना में जोश है, वह हमें फाड़ खाएगी। नहीं होगी रिलीज पर्दे की फिल्म।पूरे देश का दर्शक वर्ग परेशान हो गया है। ऐसे में शेर को लगता है कि मामला ज्यादा बढ़ रहा है और हीरो झुकने को तैयार नहीं है। सो अपनी किरकिरी कराने से अच्छा है कि दो-चार धमकियों के साथ हीरो को ही जीतने दो भाई, अपना काम तो हो गया।

टेक-7हैप्पी एंडिंग : तो भाईयों अब मौका आ गया है जजमेंट डे का। शेर कहता है देखो जिसे देखनी है इस गद्दार की फिल्म। हमें कुछ लेना देना नहीं है।अब हीरो भी नरम पड़ रहा है। वह मुस्करा रहा है कि, फिल्म में हमेशा हीरो जीतता है और हकीकत में भी मैं ही जीत रहा हूं। दर्शक भी खुश हो रहे हैं कि कि चलो नया मनोरंजन होगा। इधर लोकतंत्र के नुमाइंदे भी राहत की संास ले रहे हैं। चलो टेंशन खत्म हो रही है। बनिए फिल्म को रिलीज करते हैं और पहले ही दिन टूटते हैं कई रिकार्ड। पर्दे की पिक्चर बिगेस्ट हिट। जर्मनी में प्रशंसक पागल हो गये हैं, अपने हीरो की फिल्म देखने के लिए टूट पड़े हैं दुकानों पर। 5 सेंकेंड में ही पूरी दुकान भर जाती है ग्राहकों से। मीडिया खुश है। हीरो का गुणगान कर रहा है। और हीरो अपनी हर फिल्म की तरह रो रहा है, शुक्रिया अदा कर रहा है, कह रहा है मैं बहुत खुश हूं। मेरी मेहनत रंग लाई। आप मुझे कितना प्यार करते हैं, इसका पता चल गया। शक तो पहले भी नहीं था पर आजमाना जरूरी था। दर्शक खुश है, वह पर्दे की फिल्म देख कर रो रहा है, हंस रहा है, हीरो के लिए उसका प्यार बढ़ गया है। देखो यह तो रीयल हीरो है। फिल्म में भी जीतता है और हकीकत में भी।
हीरो भी अब ठंडा पड़ रहा है, वह अपने इलेक्ट्रानिक पोस्ट आफिस पर चिी लिख कर कह रहा है- यदि मेरी किसी बात से किसी को ठेस पहुंची हो तो मुझे खेद है, भाई। शेर भी खुश है हम जीत गये। हीरो ने माफी मांग ली। हम शेर हैं आखिर। दर्शक खुश, शेर खुश, हीरो खुश। मीडिया खुश। सब खुश। हैप्पी एंडिंग। पर मेरा दिमाग चलता है। फिल्म के रिजल्ट देख कर। इस पूरी जंग में अलग रहने वाला मैं अब परेशान हो जाता हूं। क्या सब कुछ वैसा ही है जैसा दिखा, या दिखाया गया।मुझ पढ़ाकू को याद आया कि भईये ये हीरो बेचारा नहीं है। यह तो खिलाड़ी निकला रे। शेर भी खिलाड़ी है। न हीरो जीता न शेर हारा। हारा तो देश और देश के बेचारे दर्शक। मुझे याद आया हीरो देश के नामी यूनिवर्सिटी से मॉस मीडिया का परास्नातक रहा है। अव्वल छात्र। पिछले 20 सालों से देश की जनता को अपने आंसूओं से बेवकूफ बना कर अपना माल बेच रहा है। इसने अपना माल बेचने में महारत हासिल करने की डिग्री की है भाई । फिर तो जीतना इसको ही था। वह भी रात में बेडरूम में सिगरेट फूंक रहा है, और सोच रहा है। देश की जनता कितनी भावुक है। भावनाओं को कैश कराओ और माल बनाओ। उसे सुख की नींद आएगी। सो गुड नाइट लाइट्स ऑफ। तो पर्दे के खिलाड़ी कुमार सावधान हो जाइये। क्योंकि टक्कर देने आ रहा है एक नया खिलाड़ी। खिलाड़ी खान। उम्मीद है कि खान को यह नया टाइटल पसंद आएगा और वो इस पर भी कोई फिल्म बनाएंगे खिलाड़ी खान।

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