Friday, November 7, 2008

चुनावो का मौसम

लो फ़िर आए चुनावो के मौसम, वादों और दावो के मौसम।
बड़ी-बड़ी बातो, कुछ कर दिखाने के इरादों का मौसम, कुछ कहने कुछ करने का मौसम।
पर देखो यारो ज़रा बचना इनकी जादू भरी बातो से, मत करना यकीन इनकी बातो का, पहले देखो क्या किया, किसने किया कब किया, कितना किया। मत देखो इनके वादों को, देखो केवल काम को। ये दुधारी तलवार है, जो इधर भी मारेगी और उधर भी । अंत में कहना यही है, वोट दो नेता चुनो पर संभल कर.

1 comment:

Udan Tashtari said...

सही है, चुनाव तो संभल कर ही करना चाहिये.