Sunday, March 27, 2011

प्यार की हवा...

कभी -कभी जिंदगी की जद्दोजहद में कुछ ऐसे नजारे सामने आ जाते हैं, जो दिल को गुदगुदा जाते हैं। ऐसा ही एक नजारा पिछले दिनों देखकर कर पुरानी यादें ताजा हो गईं। होली की रात थी और हम अपनी छत पर बैठे थे। रात के सवा बजे के आस पास का वक्त रहा होगा। हाथ में था कॉफी का मग, रेडियो पर बज रहे थे 70 के दशक के रोमांटिक गाने, मन को सुकून दे रही ठंडी हवा के झोंकों के बीच इंतजार था उस अद्भुत खगोलीय घटना का पूरे 18 साल बाद घटने जा रही थी-यानी सुपरमून का। ख्याल था देखें क्या खास होने वाला है- इस रात में। यूं तो चांद अपने पूरे शबाव पर था और दूसरे दिनों के मुकाबले अपनी चांदनी की चमक का पूरा नजारा करा रहा था। एकदम क्रिस्टल क्लियर। जैसे थ्री डी थियेटर में कोई हालीवुड की मूवी देख रहे हों, अवतार टाइप। पूरा मोहल्ला नींद की आगोश में लिपटा हुआ बच्चों की मानिंद गहरी नींद में सो रहा था। वक्त में सामने के मकान में कुछ हलचल हुई। मन में उत्सुकता जागी, इतनी रात में कौन जागा। नजरें सामने वाले घर में गईं, चारों ओर व्याप्त अंधेरे को चीरती हुई चांदनी की में एक मासूम चेहरा नजर आया। वो थी एक छोटी बच्ची। छोटी इसलिए क्योंकि उसकी उम्र यही कोई 15-16 के आसपास होगी। उसकी आंखों में नींद की खुमारी भरी थी, और आवाज में गुस्सा। वो अपने मोबाइल पर किसी से फुसफुसाती सी आवाज में बतिया रही थी। इतनी रात को फोन क्यों लगाया... मना किया है न। मम्मी जाग गईं तो वो पिटाई लगाएंगी कि समझ लेना। कुछ देर कि शांति... शायद सामने वाले ने कुछ बोला हो। फिर वही फुसफुसाहट तुम चाहते हो मेरी पिटाई हो। फिर शांति। नहीं चाहते तो। तो फिर फोन क्यों किया रात में। आगे से इतनी रात में मत करना। सामने वाले ने फिर कुछ बोला था शायद। लड़की ने इस बार अपेक्षाकृत तेज आवाज में कहा, रिश्ता आगे बढ़ाना चाहते हो तो कंट्रोल रखो खुद पर। शायद इस बार सामने वाले ने कुछ कहा हो, लड़की ने सिसकियां के साथ गुजारिश की समझा करो, मुश्किलें मेरी। मम्मी बोलती हैं, पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रही हो, आजकल ध्यान कहां है तुम्हारा। भाई भी नजर रखता है। सामने वाला थोड़ा पिघला हो शायद: क्योंकि आई लव यू.. के शब्द सुनाई पड़े। इसी के साथ गुडनाइट और लड़की घर के भीतर।हमने सोचा: बच्चों को अभी ये सब कितना अच्छा लग रहा है, मौसम सुहाना, दुनिया हसीन। सब कुछ गुलाब की तरह खिला- और मिट्टी की महक सा सोंधापन। पर इनकी कच्ची उम्र का प्यार कितने दिन इनके साथ रहने वाला है। रोटी कमाने के फेर में जिंदगी के दो पाटों के बीच प्यार -व्यार सब पिस जाएगा और रह जाएंगे सिर्फ संघर्ष। गला काट कॉम्पिटिशन के बीच आगे निकलने की जुगत। पर फिर मन में कहीं आवाज आई: हमेशा उल्टा क्यों सोचता है। जब तक प्यार की हवा के झोंकें इन्हें खुशी दे रहे हैं, खुश हो लेने दे। बाद की बाद में छोड़। मैंने भी कहा कल की कल पर छोड़ो, आज को भरपूर जियो।

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